- गणेश पाण्डेय
प्रेम कविता
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कोई कवि किसी के प्रेम में मर-मिटता है
प्रेम में चोट खाने के बाद घनानंद बन जाता है
प्रेम कविताओं का अंबार लगाने लगता है
हिन्दी का आज कवि अमरप्रेम नहीं करता है
उसके लिए स्त्री पहली दूसरी तीसरी कविता है
वह प्रेम करने के लिए प्रेम नहीं करता है
केवल संबंघ बनाने के लिए प्रेम करता है
जैसे कविता पुरस्कार के लिए लिखता है
उसकी सारी प्रेम कविताएँ फ़र्ज़ी हैं
स्त्रियों को रिझाने के लिए लिखी गयी हैं।
रुपया
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कोई देश से प्रेम करने लगता है
कोई क्रांति के स्वप्न से प्रेम करने लगता है
कोई किसी खेल से प्रेम करने लगता है
कोई किताबों के प्रेम में कीड़ा बन जाता
कोई रुपये के प्रेम में अंधा हो जाता है
उसी को खाता है उसी को पीता है
उसी के लिए हत्या करता है सबको सताता है
मनुष्यता की सबसे निचली सीढ़ी से
और नीचे और नीचे लुढ़कता जाता है
आग लगे इस रुपये में।
लोकतंत्र का मज़ाक़
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कोई बंदूक से प्यार करने लगता है
बंदूक के रास्ते पर चलता जाता है
चारो तरफ़ ख़ौफ़ ही ख़ौफ़ पैदा करता है
गुनाहों की एक लंबी फ़ेहरिस्त के बाद
राजनीति का सितारा बन जाता है
अपने आक़ाओं के बहुत काम आता है
पैसा लूटते-लूटते वोट लूटने लगता है
बंदूक की नोंक पर बैठकर गोली की तरह
सीधे संसद में पहुँच जाता है लोकतंत्र का
इससे बड़ा मज़ाक़ क्या हो सकता है।
संविधान के कारीगर
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भारतीय राजनीति
और अपराध का अशुभ-विवाह
किस दुष्चरित्र पंडित ने कराया पकड़ो उसे
बारात में कौन-कौन सी पार्टियाँ शामिल थीं
और किन गधों ने बैंड-बाजा बजाया
संगीन आपराधिक मामलों का आरोपी
माननीय जनप्रतिनिधि कैसे बन सकता है
अब तक संविधान के कारीगरों ने आखि़र
इस चोर दरवाज़े को बंद क्यों नहीं किया।
गोली और फूल
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माफ़िया की बंदूकें
जगह-जगह गोली उगलें
और पुलिस की बंदूकें फूल बरसायें
जेलें अपराधियों के लिए सैरगाह हो जाएँ
न्यायालय बीसियों साल फ़ैसला न दे पाये
जेलों से संगठित अपराध चलाने की छूट हो
ऐसा कोई राजनेता सोच कैसे सकता है
कोई राजनेता पुलिस से बंदूकें वापस लेकर
उन्हें मज़ाक कैसे बना सकता है।
उलट-पलट
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एक सरकार में
कुछ माफ़िया निशाने पर होते हैं
शेष सरकार के प्यारे होते हैं
दूसरे सरकार में उलट होता है
सरकारो उलट-पलट का यह खेल
कब बंद करोगो आओगे तो फिर
उलट-पलट का खेल खेलोगे।
दो दुनिया
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शहर एक है दुनिया दो है
एक रोशनी की छोटी दुनिया है
दूसरी अँधेरे की बड़ी दुनिया है
अँधेरे की दुनिया को देखने के लिए
उसमें जीना पड़ता है धँसना पड़ता है
अँधेरे से लड़ने के लिए ख़ुद
हाथ-पैर चलाना पड़ता है।
चाहत
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यह शहर है
कि देश है कि दुनिया
जहाँ दो ज़िन्दगियाँ हैं अँधेरे और उजाले की
एक में गोदाम मेवे और रुपयों से भरे हुए हैं
खाने के लिए पूरे छप्पन भोग सजे हुए हैं
दूसरे में पतली दाल ठंडी बाटी और लाल मिर्च
कमीज़ की जेब ज़रूर फटी हुई हैं सीना दुरुस्त
फेफड़े मज़बूत हैं और अँधेरे से निकलने
और दुनिया को उलट-पलट देने की
चाहत कम नहीं हुई है।
तीसरी ज़िन्दगी
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एक तीसरी ज़िन्दगी है मैं उन्हें जानता हूँ
वे क्यों सोचते हैं कि इस सबसे बड़े शहर में
उनके बच्चों के थ्री बीएचके फ्लैट हो जाएँ और
पैकेज चालीस से बढ़कर एक करोड़ हो जाए
अपार्टमेंट के सामने लाल दोंगर वालों की दशा
कुछ-कुछ सुधर जाए लेकिन कितनी सुधर जाए
जो बाई काम के लिए आती है उसके बच्चे
और उनके नाती-पोते एक जैसे हो जाएँ
वे ऐसा कुछ क्यों नहीं सोच पाते हैं क्या है
जो उनमें कम है कैसा भय है।
महापंडित
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आप लेखक हैं संगठन के महासचिव हैं
आप इतनी बड़ी पत्रिका के संपादक हैं
साहित्य से अधिक राजनीति के महापंडित हैं
केवल उस एक दल का नाम बता दीजिए जो
राजनीति और अपराध के अशुभ-विवाह के खि़लाफ़ है
राजनीति और भ्रष्टाचार के अशुभ-विवाह के खि़लाफ़ है
राजनीति और धर्म के अशुभ-विवाह के खि़लाफ़ है
राजनीति और जाति के अशुभ-विवाह के खि़लाफ़ है
आपकी एक आँख फूटी क्यों है आधा क्यों देखते हैं
फासीवादी को देखते हैं बाक़ी को नहीं देखते हैं।
विकल्प
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रेल गाड़ी से उतारकर
सवारियों को टैक्सी में बैठाने के लिए
क्या यह ज़रूरी नहीं है कि आप पहले
देख तो लें कि टैक्सी के चारो पहिए
सलामत हैं या नहीं आगे चलकर आप
बैलगाड़ी में बैठने के लिए तो नहीं कहेंगे
साफ़-साफ़ पहले ही बता दीजिए।
पैर
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हम सिर्फ़ कह सकते हैं आगे बढ़िए
दूसरी बार कह सकते हैं तीसरी बार भी
इसके बाद भी वह पैर नहीं हिलाता
तो यह उसकी मर्ज़ी है वहीं पड़ा रहे
हम उसके पैर नहीं बदल सकते हैं।
वाह सर सभी कविताएं मारक एवम ताजीदम
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