- गणेश पाण्डेय
--------
लड़ाई
--------
ओह
यह लड़ाई
जो बिल्कुल सामने हो रही है
सच और झूठ के बीच नहीं है
जैसा
दुनियाभर की तमाम
भाषाओं के महान साहित्य में
दिखाया जाता रहा है
आज
यह लड़ाई
सिर्फ झूठ और झूठ के बीच
सचमुच की खूनी जंग है
तय है
सब हारेंगे हारेगा यह देश
हारेगा मनुष्य और विचार
कोई नहीं जीतेगा।
----------------
गुब्बारे में गैस
----------------
दो
विशेष समुदायों की
यह राजनीतिक लड़ाई
किसी
सिद्धांत की नहीं वर्चस्व
और उसके खौफ की लड़ाई है
इसे किसी एक से
न दबने की जरूरी लड़ाई
कह सकते हैं
लोकतंत्र का मतलब ही है
कोई किसी को दबाए नहीं
सबकी प्रतिष्ठा एक जैसी हो
फिर
इसे सही ढंग से लड़ने की जगह
खूनी लड़ाई बनाने में फायदा किसका है
हिंदुओं का कि मुसलमानों का
कि उनके नेताओं का
यह लड़ाई
दरअसल राजनीति के आकाश में
ऊपर और ऊपर जाने के लिए
हिंदू और मुसलमान गुब्बारों में
बयान बहादुर नेताओं के पम्प से
भरी गयी गैस है।
------------------
कानून का खेल
------------------
कभी
मुसलमानों के लिए
बड़ी अदालत के फैसले के खिलाफ
नया कानून बना दिया जाता है
तो कभी
हिंदू वोटबैंक बढ़ाने के लिए
नया कानून बना दिया जाता है
कुल मिलाकर
लोकतंत्र सिर्फ कानून बनाने घर है
दोस्ती मोहब्बत और अमन का नहीं।
---------------------
डरा हुआ आदमी
---------------------
हम
बिना तिलक लगाए
हिंदुओं का दिल
क्यों नहीं जीत सकते
और अगर लगाकर ही जीतना हो
तो अकबर क्यों नहीं बन सकते
जब हमें
काम कुछ और करना है
और करते कुछ और हैं
तो जालीदार टोपी पहनकर
हिंदूनेता होकर
इफ्तार पार्टी क्यों करते हैं
क्यों
हम हिंदू और मुसलमान के लिए
अलग-अलग बाड़ा बनाकर रखते हैं
उन्हें डराते रहते हैं
आखिर डरा हुआ आदमी
कितना हिंसक हो सकता है
किसे मालूम नहीं।
-----------------------------
लोकतंत्र मूर्च्छित हो गया
------------------------------
ओह
लोकतंत्र और क्या करता
तुरत मूर्च्छित हो गया
जैसे ही किसी मंत्री ने
अपने विरोधियों को खुलेआम
गाली दी
जैसे ही किसी मंत्री ने
किसी एक धर्म का परचम लहराया
और दूसरे को लज्जित किया
जैसे ही किसी मंत्री ने
जनसभा में अपने विरोधियों को
सीधे गोली मारने की बात की।
--------
लड़ाई
--------
ओह
यह लड़ाई
जो बिल्कुल सामने हो रही है
सच और झूठ के बीच नहीं है
जैसा
दुनियाभर की तमाम
भाषाओं के महान साहित्य में
दिखाया जाता रहा है
आज
यह लड़ाई
सिर्फ झूठ और झूठ के बीच
सचमुच की खूनी जंग है
तय है
सब हारेंगे हारेगा यह देश
हारेगा मनुष्य और विचार
कोई नहीं जीतेगा।
----------------
गुब्बारे में गैस
----------------
दो
विशेष समुदायों की
यह राजनीतिक लड़ाई
किसी
सिद्धांत की नहीं वर्चस्व
और उसके खौफ की लड़ाई है
इसे किसी एक से
न दबने की जरूरी लड़ाई
कह सकते हैं
लोकतंत्र का मतलब ही है
कोई किसी को दबाए नहीं
सबकी प्रतिष्ठा एक जैसी हो
फिर
इसे सही ढंग से लड़ने की जगह
खूनी लड़ाई बनाने में फायदा किसका है
हिंदुओं का कि मुसलमानों का
कि उनके नेताओं का
यह लड़ाई
दरअसल राजनीति के आकाश में
ऊपर और ऊपर जाने के लिए
हिंदू और मुसलमान गुब्बारों में
बयान बहादुर नेताओं के पम्प से
भरी गयी गैस है।
------------------
कानून का खेल
------------------
कभी
मुसलमानों के लिए
बड़ी अदालत के फैसले के खिलाफ
नया कानून बना दिया जाता है
तो कभी
हिंदू वोटबैंक बढ़ाने के लिए
नया कानून बना दिया जाता है
कुल मिलाकर
लोकतंत्र सिर्फ कानून बनाने घर है
दोस्ती मोहब्बत और अमन का नहीं।
---------------------
डरा हुआ आदमी
---------------------
हम
बिना तिलक लगाए
हिंदुओं का दिल
क्यों नहीं जीत सकते
और अगर लगाकर ही जीतना हो
तो अकबर क्यों नहीं बन सकते
जब हमें
काम कुछ और करना है
और करते कुछ और हैं
तो जालीदार टोपी पहनकर
हिंदूनेता होकर
इफ्तार पार्टी क्यों करते हैं
क्यों
हम हिंदू और मुसलमान के लिए
अलग-अलग बाड़ा बनाकर रखते हैं
उन्हें डराते रहते हैं
आखिर डरा हुआ आदमी
कितना हिंसक हो सकता है
किसे मालूम नहीं।
-----------------------------
लोकतंत्र मूर्च्छित हो गया
------------------------------
ओह
लोकतंत्र और क्या करता
तुरत मूर्च्छित हो गया
जैसे ही किसी मंत्री ने
अपने विरोधियों को खुलेआम
गाली दी
जैसे ही किसी मंत्री ने
किसी एक धर्म का परचम लहराया
और दूसरे को लज्जित किया
जैसे ही किसी मंत्री ने
जनसभा में अपने विरोधियों को
सीधे गोली मारने की बात की।
हमारे समय की पूरी परख , आलोचनाएं और जरूरी कविताएं तथा लताड़ भी गणेश पाण्डेय के यहां अपने विशालतम और अनूठे संदर्भ में दिखाई देते हैं । एकांगिता से बचा और राजनीतिक चेतना से संपन्न कोई कवि है तो निश्चय ही गणेश पाण्डेय सबसे उपयुक्त नाम होंगे । Ganesh Pandey Ganesh Gani Siddharth Vallabh सतीश छिम्पा
जवाब देंहटाएं