- गणेश पाण्डेय
कवि के लिए
तानाशाह का चेहरा
और उसकी तमाम क्रूरताएं दिखाना
बहुत से बहुत उससे भी बहुत जरूरी है
कवि के लिए
दुनिया का हर स्याह सफेद दिखाना
उसके कविकर्म का जरूरी हिस्सा है
उसे सबको दिखाना है सबका चेहरा
टेढ़े मुंह पर पुती कालिख
और दूसरी कमियां
कवि के लिए
जो-जो अपनी कविता में करना है
सब सही है सब सुंदर है सब जरूरी है
बस कविता के किसी कोने में उसे
अपना चेहरा दिखाना क्यों नहीं जरूरी है
कवि के लिए
हमारे समय के कवि के लिए
अपने चेहरे के दाग धब्बे गड्ढे छिपाने की
आखिर यह कैसी मजबूरी है कैसी
उसकी कविता में एक हिस्सा खाली है।
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