सोमवार, 21 अक्तूबर 2019

भाई बीमार हैं

भाई बीमार हैं
अस्सी के पास पहुंचकर
सौ पार लग रहे हैं भाई

भाई बीमार हैं
बिस्तर पर लेटे लेटे भाई
कहते हैं बहुत लाचार हैं

ये मेरे कान नहीं सुन रहे हैं
आंखें सुन रही हैं बोल रही हैं
आप लोग तो जानते ही हैं
कि आंखों की भाषा
कितनी तरल होती है
क्या क्या भिगो देती हैं

भाई बीमार हैं
मैं उन्हें लंबे समय के बाद
इतने करीब सै देख रहा हूं
आमने-सामने बैठकर

भाई बीमार हैं
भाई की आंखों में
बीता हुआ समय फिर से
बीतता हुआ देख रहा हूं

भाई बीमार हैं
मेरे सामने सहसा
भाई की आंखों की पुतली
खेल का मैदान बन जाती है
भाई को हाकी खेलते हुए
देख रहा हूं

भाई बीमार हैं
और भाई की कलाई का जादू 
फिर से चलते हुए देख रहा हूं
एक दो तीन चार लगातार
भाई को हाकी से गोल करते
देख रहा हूं और रोम रोम में
रोमांच से भर जा रहा हूं

भाई बीमार हैं
भाई की आंखों में
भाई की उंगली पकड़कर
खेल के मैदान से लौटते हुए
खुद को देख रहा हूं सोच रहा हूं

भाई बीमार हैं
काश भाई ने जिंदगी में भी
ऐसे ही लगातार गोल किए होते
तो इतना बीमार न हुए होते
इतनी बेकदरी न हुई होती

भाई बीमार हैं
भाई मेरे पास रहे होते
तो इतने बीमार न हुए होते
इतने उदास न होते
मेरे सहोदर मेरे सहचर होते

भाई बीमार हैं
मुझे भी अपने घर लौटना है
कुछ देर और ऐसे ही
बीमार भाई के सामने बैठा रहा
तो मैं पूरी तरह ढह जाऊंगा
और मुझे ढहता देख भाई
ढह जाएंगे।

- गणेश पाण्डेय



                                                                                   

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