- गणेश पाण्डेय
(1)
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भाई बीमार हैं
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भाई बीमार हैं
अस्सी के पास पहुंचकर
सौ पार लग रहे हैं भाई
भाई बीमार हैं
बिस्तर पर लेटे लेटे भाई
कहते हैं बहुत लाचार हैं
ये मेरे कान नहीं सुन रहे हैं
आंखें सुन रही हैं बोल रही हैं
आप लोग तो जानते ही हैं
कि आंखों की भाषा
कितनी तरल होती है
क्या क्या भिगो देती हैं
भाई बीमार हैं
मैं उन्हें लंबे समय के बाद
इतने करीब सै देख रहा हूं
आमने-सामने बैठकर
भाई बीमार हैं
भाई की आंखों में
बीता हुआ समय फिर से
बीतता हुआ देख रहा हूं
भाई बीमार हैं
मेरे सामने सहसा
भाई की आंखों की पुतली
खेल का मैदान बन जाती है
भाई को हाकी खेलते हुए
देख रहा हूं
भाई बीमार हैं
और भाई की कलाई का जादू
फिर से चलते हुए देख रहा हूं
एक दो तीन चार लगातार
भाई को हाकी से गोल करते
देख रहा हूं और रोम रोम में
रोमांच से भर जा रहा हूं
भाई बीमार हैं
भाई की आंखों में
भाई की उंगली पकड़कर
खेल के मैदान से लौटते हुए
खुद को देख रहा हूं सोच रहा हूं
भाई बीमार हैं
काश भाई ने जिंदगी में भी
ऐसे ही लगातार गोल किए होते
तो इतना बीमार न हुए होते
इतनी बेकदरी न हुई होती
भाई बीमार हैं
भाई मेरे पास रहे होते
तो इतने बीमार न हुए होते
इतने उदास न होते
मेरे सहोदर मेरे सहचर होते
भाई बीमार हैं
मुझे भी अपने घर लौटना है
कुछ देर और ऐसे ही
बीमार भाई के सामने बैठा रहा
तो मैं पूरी तरह ढह जाऊंगा
और मुझे ढहता देख भाई
ढह जाएंगे।
(2)
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भाई तो हीरा थे
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भाई थे तो लगता था
हैं और रहेंगे कभी जाएंगे नहीं
कई बार कई मूल्यवान चीजें
पास में रहती हैं तो लगता ही नहीं
कुछ मूल्यवान भी है
कोई चीज गुम हो जाती है
तो लगता है अरे हीरा था खो गया है
भाई तो हीरा थे ही
वक्त की धूल से चमक छिप गयी थी
मजबूत पेड़ भी धराशायी हो जाता है
एक दिन
भाई कहां होंगे पिंजरे से निकलकर
ऊपर और ऊपर अधबीच में होंगे
या पहुंच चुके होंगे अम्मा के पास
चाहे बाबूजी के पास या दोनों के पास
बड़े भाई इसीलिए पैदा होते हैं
कि छोटे भाई को बुढ़ापे में भी
अकेला छोड़कर पहले चले जाएं
खूब रुलाने के लिए
जा तो रहे हो भाई
अम्मा पूछेंगी चले क्यों आए
छोटकू के नाती पोतों से मिले बगैर तो
अम्मा को बाबूजी को बुआ को दादी को
सबको कैसे समझाओगे भाई
अभी कितनी दूर पहुंचे होगे भाई
क्या लौट नहीं सकते भाई।
(3)
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भाई का अधखुला मुंह
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भाई का मुंह
खुला का खुला
अधखुला रह गया हो
ऐसा पहली और आखिरी बार हुआ है
क्या चाहिए भाई
पानी शरबत चाय कुछ तो बोलो
कोई दवाई कोई सिरप
क्या है भाई
इस अधखुले मुंह में
किसका कौर चाहिए भाई
अम्मा का कौर बुआ का कौर
कि चंदा मामा का कौर
मेरा भी कौर ले लो भाई
ये मेरा सोहन हलवा मेरी जलेबी
ये दो पैसे की आइसक्रीम
गंगाजल चाहिए भाई
ये सब कुछ नहीं चाहिए
तो बताओ भाई होंठ हिलाओ
बोलो तो क्या बचा रह गया है
अभी कहने से कंठ में
मुझे डांटना चाहते हो भाई
लो तुम्हारे सामने हूं डांट लो
प्यार कहना चाहते हो चूम लो
आशीष देना है सिर पर हाथ रख दो
जाते जाते बचपन की तरह
मेरा ऐसा इम्तहान न लो भाई
कि फेल हो जाऊं अम्मा से डांट खाऊं
अधखुले मुंह से कुछ तो बोलो भाई।
(4)
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मेरे भाई जल रहे हैं
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मेरे भाई
मेरी आंखों के सामने
जल रहे हैं
मैं चिता से
विनती करता हूं
हे चिता मद्धिम जलो
भाई
जैसे जैसे जल रहे होंगे
वैसे वैसे धिक रहे होंगे
हे अग्नि शीश नवाता हूं
भाई की आंखों के सपने
और प्यार मेरे लिए छोड़ देना
भाई का हदय
बहुत कोमल है फूल से भी
ज्यादा कोमल उसे छूना मत
हे अग्नि भाई का दिल
जिसमें मेरे लिए प्यार का सागर है
मेरी अंजुरी में लौटा देना
हे अग्नि दया करना
मेरे अति निश्छल निष्कलुष
गैर दुनियादार भाई पर
कैसे चिता पर भाई
धू-धू कर जल रहे है
रुई के फाहे की तरह
भाई जाते-जाते
एक बार फिर मेरे सामने
कौतुक कर रहे हैं
मैं रो रहा हूं बचपन की तरह
भाई के सताने पर
मार दूंगा भाई
अपने भाई के लिए मुझे
इस तरह कोने में टूटकर रोते हुए
देखकर
भाई की चिता के बिल्कुल पास
मेरी आत्मा छाती पीट-पीटकर
रो रही है विलाप कर रही है
हाय
मेरे भाई जल रहे हैं।
(5)
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लौट आओ भाई
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भाई के पास
पैसे बहुत कम थे
मेरे पास उनसे काफी ज्यादा पैसे थे
ऐसा नहीं होना चाहिए था
मेरे भाई
मुझसे कम योग्य नहीं थे
बस सफलताएं उनके हाथ से
फिसल जाया करती थीं
भाई पैदल चलते थे
मैं उनसे मिलने कार से जाता था
भाई को मुझसे कोई ईर्ष्या नहीं थी
वे तो मेरे लिए आशीर्वाद लुटाते थे
भाइयों के इस बुरे समय में
ऐसे भाई शायद और भी होते होंगे
पर भाई को देखने की मेरी आंख
औरों की तरह नहीं है
मैं जब भी भाई को देखता हूं
भाई की चिट्ठियां देखता हूं
बाहर की आंख से नहीं भीतर से
देखता रह जाता हूं
भाई की लिखावट में
भाई की उंगलियां देखता हूं
चूमता जाता हूं
एक-एक शब्द में
भाई का चित्र देखता हूं
छूता हूं पुकारता हूं
लौट आओ भाई।
(1)
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भाई बीमार हैं
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भाई बीमार हैं
अस्सी के पास पहुंचकर
सौ पार लग रहे हैं भाई
भाई बीमार हैं
बिस्तर पर लेटे लेटे भाई
कहते हैं बहुत लाचार हैं
ये मेरे कान नहीं सुन रहे हैं
आंखें सुन रही हैं बोल रही हैं
आप लोग तो जानते ही हैं
कि आंखों की भाषा
कितनी तरल होती है
क्या क्या भिगो देती हैं
भाई बीमार हैं
मैं उन्हें लंबे समय के बाद
इतने करीब सै देख रहा हूं
आमने-सामने बैठकर
भाई बीमार हैं
भाई की आंखों में
बीता हुआ समय फिर से
बीतता हुआ देख रहा हूं
भाई बीमार हैं
मेरे सामने सहसा
भाई की आंखों की पुतली
खेल का मैदान बन जाती है
भाई को हाकी खेलते हुए
देख रहा हूं
भाई बीमार हैं
और भाई की कलाई का जादू
फिर से चलते हुए देख रहा हूं
एक दो तीन चार लगातार
भाई को हाकी से गोल करते
देख रहा हूं और रोम रोम में
रोमांच से भर जा रहा हूं
भाई बीमार हैं
भाई की आंखों में
भाई की उंगली पकड़कर
खेल के मैदान से लौटते हुए
खुद को देख रहा हूं सोच रहा हूं
भाई बीमार हैं
काश भाई ने जिंदगी में भी
ऐसे ही लगातार गोल किए होते
तो इतना बीमार न हुए होते
इतनी बेकदरी न हुई होती
भाई बीमार हैं
भाई मेरे पास रहे होते
तो इतने बीमार न हुए होते
इतने उदास न होते
मेरे सहोदर मेरे सहचर होते
भाई बीमार हैं
मुझे भी अपने घर लौटना है
कुछ देर और ऐसे ही
बीमार भाई के सामने बैठा रहा
तो मैं पूरी तरह ढह जाऊंगा
और मुझे ढहता देख भाई
ढह जाएंगे।
(2)
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भाई तो हीरा थे
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भाई थे तो लगता था
हैं और रहेंगे कभी जाएंगे नहीं
कई बार कई मूल्यवान चीजें
पास में रहती हैं तो लगता ही नहीं
कुछ मूल्यवान भी है
कोई चीज गुम हो जाती है
तो लगता है अरे हीरा था खो गया है
भाई तो हीरा थे ही
वक्त की धूल से चमक छिप गयी थी
मजबूत पेड़ भी धराशायी हो जाता है
एक दिन
भाई कहां होंगे पिंजरे से निकलकर
ऊपर और ऊपर अधबीच में होंगे
या पहुंच चुके होंगे अम्मा के पास
चाहे बाबूजी के पास या दोनों के पास
बड़े भाई इसीलिए पैदा होते हैं
कि छोटे भाई को बुढ़ापे में भी
अकेला छोड़कर पहले चले जाएं
खूब रुलाने के लिए
जा तो रहे हो भाई
अम्मा पूछेंगी चले क्यों आए
छोटकू के नाती पोतों से मिले बगैर तो
अम्मा को बाबूजी को बुआ को दादी को
सबको कैसे समझाओगे भाई
अभी कितनी दूर पहुंचे होगे भाई
क्या लौट नहीं सकते भाई।
(3)
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भाई का अधखुला मुंह
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भाई का मुंह
खुला का खुला
अधखुला रह गया हो
ऐसा पहली और आखिरी बार हुआ है
क्या चाहिए भाई
पानी शरबत चाय कुछ तो बोलो
कोई दवाई कोई सिरप
क्या है भाई
इस अधखुले मुंह में
किसका कौर चाहिए भाई
अम्मा का कौर बुआ का कौर
कि चंदा मामा का कौर
मेरा भी कौर ले लो भाई
ये मेरा सोहन हलवा मेरी जलेबी
ये दो पैसे की आइसक्रीम
गंगाजल चाहिए भाई
ये सब कुछ नहीं चाहिए
तो बताओ भाई होंठ हिलाओ
बोलो तो क्या बचा रह गया है
अभी कहने से कंठ में
मुझे डांटना चाहते हो भाई
लो तुम्हारे सामने हूं डांट लो
प्यार कहना चाहते हो चूम लो
आशीष देना है सिर पर हाथ रख दो
जाते जाते बचपन की तरह
मेरा ऐसा इम्तहान न लो भाई
कि फेल हो जाऊं अम्मा से डांट खाऊं
अधखुले मुंह से कुछ तो बोलो भाई।
(4)
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मेरे भाई जल रहे हैं
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मेरे भाई
मेरी आंखों के सामने
जल रहे हैं
मैं चिता से
विनती करता हूं
हे चिता मद्धिम जलो
भाई
जैसे जैसे जल रहे होंगे
वैसे वैसे धिक रहे होंगे
हे अग्नि शीश नवाता हूं
भाई की आंखों के सपने
और प्यार मेरे लिए छोड़ देना
भाई का हदय
बहुत कोमल है फूल से भी
ज्यादा कोमल उसे छूना मत
हे अग्नि भाई का दिल
जिसमें मेरे लिए प्यार का सागर है
मेरी अंजुरी में लौटा देना
हे अग्नि दया करना
मेरे अति निश्छल निष्कलुष
गैर दुनियादार भाई पर
कैसे चिता पर भाई
धू-धू कर जल रहे है
रुई के फाहे की तरह
भाई जाते-जाते
एक बार फिर मेरे सामने
कौतुक कर रहे हैं
मैं रो रहा हूं बचपन की तरह
भाई के सताने पर
मार दूंगा भाई
अपने भाई के लिए मुझे
इस तरह कोने में टूटकर रोते हुए
देखकर
भाई की चिता के बिल्कुल पास
मेरी आत्मा छाती पीट-पीटकर
रो रही है विलाप कर रही है
हाय
मेरे भाई जल रहे हैं।
(5)
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लौट आओ भाई
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भाई के पास
पैसे बहुत कम थे
मेरे पास उनसे काफी ज्यादा पैसे थे
ऐसा नहीं होना चाहिए था
मेरे भाई
मुझसे कम योग्य नहीं थे
बस सफलताएं उनके हाथ से
फिसल जाया करती थीं
भाई पैदल चलते थे
मैं उनसे मिलने कार से जाता था
भाई को मुझसे कोई ईर्ष्या नहीं थी
वे तो मेरे लिए आशीर्वाद लुटाते थे
भाइयों के इस बुरे समय में
ऐसे भाई शायद और भी होते होंगे
पर भाई को देखने की मेरी आंख
औरों की तरह नहीं है
मैं जब भी भाई को देखता हूं
भाई की चिट्ठियां देखता हूं
बाहर की आंख से नहीं भीतर से
देखता रह जाता हूं
भाई की लिखावट में
भाई की उंगलियां देखता हूं
चूमता जाता हूं
एक-एक शब्द में
भाई का चित्र देखता हूं
छूता हूं पुकारता हूं
लौट आओ भाई।
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