-गणेश पाण्डेय
चार भतार
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राजनीतिक दल अब पहले जैसे नहीं रहे
जब से इतिहास और मूल्यों का अंत हुआ
इन्हें पीछे के कुछ नाम तो याद रहे काम नहीं
ये अब दल नहीं दुकान चलाते हैं मुनाफ़ा कमाते हैं
सरकार बनाने के लिए जान देते हैं देश के लिए नहीं
आज़ादी के दीवानों ने प्राण न्यौछावर किया
इन्होंने घोटाला किया मुजरिम से प्यार किया
कौन-सी पार्टी है जो सती-सावित्री है
जिसने चार भतार नहीं किया।
करिश्माई गोली
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बाहुबली की गोली
सिर्फ़ देह में ही नहीं क़ानून की किताब में
अदालत की दीवार में भी छेद कर सकती है
उसे उसकी करिश्माई गोली सालोंसाल
फाँसी के फंदे से बचा सकती है।
माननीय
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बाहुबली
गोली से रुपया लाता है रुपये से टिकट लाता है
उसका सारा जनाधार उसकी गोली में होता है
इस तरह एक अपराधी माननीय कहलाता है
और लोकतंत्र के मुँह पर कालिख पोतता है।
बाहुबली की हँसी
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बाहुबली हँसता
तो उसकी पूरी देह हँसती है
गैंग का हर बदमाश हँसता है
बाहुबली गाली देते हुए हँसता है
तो गोली मारते हुए भी हँसता है
पुलिस को देखकर हँसता है
अदालत को देखकर हँसता है
जब देखो जहाँ देखो हँसता है
ओह किसी की हँसी भी कितना
डर पैदा कर सकती है।
सुल्ताना डाकू
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कमज़ोर बादशाह जब
न्याय का तराजू उठा नहीं पाता है
तख़्त पर बैठे-बैठे सू-सू कर मारता है
तो ग़रीब-गुरबा हर लुटेरे में
परोपकारी सुल्ताना डाकू
देखने लगता है।
जो कवि जन का है
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जो कवि
जितना गोरा है चिकना है सजीला है
उसके पुट्ठे पर राजा की उतनी ही छाप है
जितना सुरीला है तीखे नैन-नक़्श वाला है
उसके गले में अशर्फ़ियों की उतनी ही माला है
जो कवि जन का है बेसुरा है बदसूरत है
बहुत खुरदुरा है उम्रक़ैद भुगत रहा है।
छहों कवितायें राजनीति और साहित्य के क्षेत्र में बढ़ रहे वर्चस्ववाद के प्रतिरोध की व्यंजनापूर्ण कवितायें हैं |
जवाब देंहटाएंपठनीय कविताएं
जवाब देंहटाएंसभी कविताएं सामयिक और प्रभावी हैं।
जवाब देंहटाएंइस समय में जब सच के बगल से सुरक्षित गुजर जाना सबसे बड़ी सफलता हो ,अच्छा है गणेश पाण्डेय सफल नहीं हो पाए।वैसे कवि कभी सफल नहीं हो यही कविता चाहती भी है।
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