मंगलवार, 20 मार्च 2018

जब आप रिटायर हो रहे हों

- गणेश पाण्डेय

मेरे भीतर 
कोई है कोई है
जो मुझे झिंझोड़-झिंझोड़कर
कहता है बार-बार

जब आप रिटायर हो रहे हों
तो साहित्य की बड़ी से बड़ी 
लड़ाई भूलकर
घर के छोटे-बड़े जरूरी काम 
निबटाएं

मकान हो तो ठीक 
पुराना हो तो मरम्मत कराएं
न हो तो जल्द से जल्द बनवाएं
गांव-गिरांव के मुकदमे में
ज्यादा तेजी लाएं

सबसे जरूरी है 
बेटियों के हाथ पीले करें
बेटे की शादी के बारे में सोचें
इस तरह जीवन की कविता को
आगे बढाएं

बीपी और शुगर पूरा कंट्रोल करें
स्पांडिलाइटिस के चक्कर से बचें
कुछ दिन गाड़ी खुद न चलाएं
खूब पैदल चलें
उठते-बैठते सोते-जागते 
जीवन की कविता के बारे में सोचें

महाकाव्य का क्या है कवि जी
नहीं भी लिख पाएंगे तो भी पृथ्वी पर 
नये-नये नन्हे-मुन्ने प्यारे-प्यारे
असंख्य कवि आएंगे
बेहतर करेंगे
जब वे आएंगे तो आप
सारे महाकाव्य भूल जाएंगे

धरती की 
बड़ी से बड़ी कविता से बड़ा है
जीवन का यह अद्वितीय संसार
जिसे आप छोड़ जाएंगे।






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