बुधवार, 18 अक्तूबर 2017

गरीब सीरीज

- गणेश पाण्डेय 

गरीब 1/
गरीब का दिल
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कितनी अजीब बात है
कि तमाम लोगों ने मिलकर 
किसी गरीब का दिल दुखाया

और उस गरीब ने बेबसी में
तमाम लोगों का दिल दुखाया

कितना उदास है 
बेचारे गरीब का दिल
दुख के इस खेल में

एक ही जिन्दगी तो मिली थी
उसने यों ही उसे गंवा दिया।


गरीब 2/
गरीब का कुर्ता
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वह जितना गरीब था
उसका कुर्ता उससे ज्यादा गरीब था
जिसे देखो उसके कुर्ते को दुखी कर देता
गिरेबान पकड़ते ही उसका कलेजा चाक हो जाता

कोई इधर से 
तो कोई उधर से खींचता 
किसी ने एक आस्तीन खींचा 
तो किसी ने दूसरा पूरा का पूरा निकाल लिया

किसी ने 
एक-एक कर सारी बटनें तोड़ डालीं
किसी ने आगे से खींचा चर्र से
तो किसी ने पीछे से खींचकर पूरा निकाल लिया

गरीब का कुर्ता था
एक ही कुर्ता था खूब रोया
किसी को भी जरा-सा तरस नहीं आया
अमीरजादे थे किसी के साहबजादे थे
शाहजादे थे

किसी गरीब की नंगी देह 
उनके लिए सिर्फ एक राखदान थी
जलती हुई सिगरेट से दागते जाते थे
गरीब की सिसकारी उनके खुश होने का सामान थी

अपनी देह से छूटा आधा-अधूरा कुर्ता 
आज अपने कुर्ता होने पर शर्मिंदा था
वह खादी का कोई कड़क कुर्ता नहीं था
रेशम का कोई चमकीला कुर्ता भी नहीं था
हैण्डलूम का एक मामूली कुर्ता था मटमैला

आज एक कुर्ता
जितना इस देश का कुर्ता होने पर शर्मिंदा था
उससे ज्यादा किसी गरीब का कुर्ता होने पर शर्मिंदा था।


गरीब 3/
गरीब बच्चे
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भारत 
एक अच्छा देश है
भारत में सब बराबर हैं
भारत में सबके लिए एक कानून है

भारत में 
कोई भी पैदा हो सकता है
सबको पैदा होने की एक जैसी छूट है
चाहे अमीर का बच्चा हो चाहे गरीब का

भारत में
सभी बच्चों के लिए एक स्कूल नहीं है
अमीर के लिए अलग स्कूल है 
गरीब के लिए अलग

भारत में
गरीब बच्चे पैदा होते ही काम पर लग जाते हैं
क्या-क्या नहीं करते हैं ये गरीब बच्चे
पूछिए मत देखिए मत कहिए मत

भारत में 
ज्यादातर अमीर बच्चे राज करते हैं
और गरीब बच्चे उनकी खिदमत करते हैं।

गरीब 4/
सबसे बड़ी अछूत गरीबी है
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गरीब गंदे होते हैं गंध छोड़ते हैं
उनके पास पसीने से भीगे हुए 
मैले कपड़े होते हैं

अमीर लोगों की नाक लंबी होती है 
दूर से सूंघ लेते हैं कौन-सा आदमी कैसा है
किसी गरीब के कार के पास आते ही 
खिड़की का शीशा तेजी से बंद कर लेते हैं
उसके हाथ फैलाने से पहले ही 
अपने हाथ हिलाकर मना कर देते हैं

अमीर के लिए 
रुपया दो रुपया देना बड़ी बात नहीं
हाथ छू जाने का डर होता है
बीमारी आ जाने का खतरा होता है
जैसे डेंगू और स्वाइन फ्लू 
गरीब का भेस धरकर घूमते हों
और अमीर तो
खुद से कभी बीमार होते ही न हों
सूअरों और मच्छरों से 
बीमारी सीधे उन्हें होती ही न हो

अमीर लोग 
सब्जी वाले कम गरीब से कम डरते हैं
कपड़ा धोने वाले
और बाल काटने वाले कम गरीब से भी 
कम-कम डरते हैं
माल में तो बिल्कुल नहीं डरते हैं
जैसे वहां गरीब काम नहीं करते
सारे नौकर अमीर होते हैं

ये अमीर भी 
कम अहमक नहीं होते हैं
अमीर भूलकर भी यह नहीं सोचते
कि वह गरीब जिसे भगा दिया 
खिड़की के अन्दर रहा होता
और वे खुद बाहर होते तो क्या होता
यह देश कितना उनका होता

अब इस देश में जाति नहीं 
सबसे बड़ी अछूत गरीबी है
अब जातियां इस तरह होती हैं
गरीब ज्यादा गरीब उससे ज्यादा गरीब
अमीर ज्यादा अमीर उससे ज्यादा अमीर
बहुत से बहुत उससे भी बहुत अमीर
बहुत से बहुत उससे भी बहुत गरीब।

गरीब 5/
गरीब का गड़खुल्ला बच्चा
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जैसे देश खड़ा है
खड़ा है गरीब का गड़खुल्ला बच्चा

उसके हाथ में कटोरा है उसमें बासी भात है
भात में न नमक है न तेल

जैसे देश का सारा नमक और तेल
हजार पीढियों के लिए सुरक्षित कर लिया हो
धन्नासेठों और माननीयों ने
कोई सौदा करके

जैसे वह गड़खुल्ला बच्चा कह रहा है
सब ले लो साहब जी सब ले लो
देश का सारा रुपया ले लो
सारी जमीन ले लो जंगल ले लो
खनिज ले लो

राजपाट ले लो हमेशा के लिए
ये बड़े-बड़े जहाज 
और चौड़ी-चौड़ी चिकनी-चिकनी सड़कें ले लो
हमारे हिस्से का रेशम हमारे हिस्से की विद्या
हमारे हिस्से की बाकी सारी खुशियां
हमारा आज और हमारा कल सब ले लो

गरीब का गड़खुल्ला बच्चा
जिसे देखता है उससे कहता है
अपनी तोतली भाषा में-
छाहब हमाले हिच्छे का
एक चुटकी नमक
और दो बूंद
कड़ुवा तेल दे दो।

गरीब 6/
गरीब की मशीन
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सब कहते हैं बुरा वक्त है
आदमी मशीन बन गया है
सब कहते हैं
तो झूठ नहीं कहते होंगे

यह समय 
तरह-तरह की मशीनों का है
झूठ बोलने वाली मशीन है
तो झूठ पकड़ने वाली

कविता में
दोनों तरह की मशीन है
आलोचना में तो दो से ज्यादा तरह की

यह देश जमीन पर नहीं
बल्कि कहना चाहिए मशीनों पर खड़ा है
देश को आदमी नहीं मशीन चला रहे हैं 
किसी के पास गरीबी हटाने की मशीन है
तो किसी के पास मंदिर वहीं बनाने की 
किसी के पास मस्जिद वहीं बनाने की मशीन है
तो किसी के पास 
जाति के नाम पर नौकरी देने की मशीन है

यह अलग बात है
कि सभी मशीनें ठीक से काम नहीं करती हैं
किसी का कुछ तो किसी का कुछ
बिगड़ा रहता है

अलबत्ता अमीरों के पास 
नोट छापने की उम्दा मशीन हैं
रोज का कारोबार है उनका अरबों का
मशीन की देखभाल के लिए भी
काफी पैसा खर्च करते हैं
कहते हैं कि सरकारें
ऐसी मशीनों के पुर्जे की तरह काम करती हैं
कहते तो यह भी हैं कि अमीरों ने
अपनी मशीन में
आलादर्जे का चुंबक भी लगा रखा है
जो दूसरे का पैसा भी खींच लेता है

गरीबों के पास 
आंख मूंद कर वोट छापने की मशीन है
जो पांच साल में एक दिन चलती है
बाकी वक्त अपनी किस्मत पर रोती है
गरीब के पास इतना बल कहां है
कि अपनी मशीन की मरम्मत करवा सके।

गरीब 7/
गरीब सरस्वती
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सरस्वती
गरीब की बेटी है
एक दिन स्कूल जाती है
तो चार दिन बीमार मां की जगह 
बर्तन मांजने चली जाती है

सरस्वती
बहुत समझदार बच्ची है
अमीर बच्चों के पुराने कपड़े को 
नये कपड़े की तरह पहन लेती है
जैसे गरीब बच्चे पुरानी किताबों पर
नया कवर चढ़ा लेते हैं

सरस्वती
अपने मां-बाप को कभी परेशान नहीं करती
होली-दिवाली में भी कुछ नहीं मांगती है
मां ही बड़े घरों से कई चीजें उसके लिए
मांगकर ले आती है

सरस्वती
अपने लंबे-लंबे काले से भी काले केश 
मुल्तानी मिट्टी से रगड़-रगड़कर चमकाती है
शैम्पू-फैम्पू में पैसा बर्बाद नहीं करती है

सरस्वती को
कभी नहीं लगता कि वह गरीब है
उसे अपने मां-बाप तनिक भी गरीब नहीं लगते
भला वे गरीब होते तो उसे इतना प्यार कैसे करते

एक दिन 
मालकिन के घर 
कोई सामान गुम होने पर 
जब मालकिन ने उसे चोर कहा 
तो वह बहुत से भी बहुत रोयी
उसे लगा कि वह सचमुच गरीब है
नहीं तो मालकिन क्यों कहतीं
कि वह चोर है

सरस्वती ने 
अपनी मां से पूछा पिता से पूछा 
कि मुझे देखकर बताओ क्या मैं चोर हूं
उस दिन सरस्वती की मां फूट-फूटकर रोयी
उसका पिता पीपल के पेड़ से लिपटकर
ऐसे रोया जैसे उसके भीतर कुछ मर गया हो
और अपना घंट बांधने आया हो

मां ने कलेजे से लगाकर कहा
नहीं बेटी नहीं तू चोर नहीं है
गरीब है

नन्ही सरस्वती 
उस रात सो नहीं पायी
सुबकती रही सोचती रही 
वह गरीब क्यों है
क्या अमीर चोर नहीं होते हैं।