tag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post3866194212083020418..comments2024-02-08T14:09:55.960+05:30Comments on Ganesh Pandey : गणेश पाण्डेय: साठ की कविताएँ Ganesh Pandey http://www.blogger.com/profile/05090936293629861528noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-32290930430411650802023-07-13T17:22:11.412+05:302023-07-13T17:22:11.412+05:30स्वाभिमान की धार और अवलोकन की बारीकी लिए पैनी कवित...स्वाभिमान की धार और अवलोकन की बारीकी लिए पैनी कविताएँ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-14799167244590358282023-02-16T19:22:32.946+05:302023-02-16T19:22:32.946+05:30उत्कृष्ट, पठनीय और अनुकरणीय रचनाएँ। उत्कृष्ट, पठनीय और अनुकरणीय रचनाएँ। धीरेन्द्र अस्थानाhttps://www.blogger.com/profile/14444695558664600159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-12570360845468464492023-02-16T13:45:45.807+05:302023-02-16T13:45:45.807+05:30गोपाल गोयल गोपाल गोयल Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-85881838999338316852023-02-16T13:42:51.245+05:302023-02-16T13:42:51.245+05:30खूब डटकर लिखा है। सुविधाजीवी और पद, पुरस्कार तथा प...खूब डटकर लिखा है। सुविधाजीवी और पद, पुरस्कार तथा पैसे के लोभी लेखकों को निर्ममता से नंगा किया है ~ लेकिन ये बहुत मोटी खाल के गेंडे हैं। Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-60048866346541278522020-11-20T06:05:55.963+05:302020-11-20T06:05:55.963+05:30आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द&qu... <i><b> आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शनिवार 21 नवम्बर 2020 को साझा की गयी है.........<a href="http://halchalwith5links.blogspot.com/" rel="nofollow"> पाँच लिंकों का आनन्द पर </a>आप भी आइएगा....धन्यवाद! </b></i>विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-24051249988462972742018-07-01T11:31:22.418+05:302018-07-01T11:31:22.418+05:30दोनों कविताएं बड़ी जबरदस्त हैं। मन मे दबी पीड़ा को ब...दोनों कविताएं बड़ी जबरदस्त हैं। मन मे दबी पीड़ा को बड़ी बेबाकी और ईमानदारी से पेश करती हैं। ये कविताएं मेरे मन की पीड़ा को भी झंकृत करती हैं, यद्यपि मैं अपनी पेशागत मजबूरियों के बोझ तले दबा हुआ थाAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/09243087111168009104noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-39554905136461121292016-09-11T18:48:41.736+05:302016-09-11T18:48:41.736+05:30बेबाक और दमदार कवितायेँ
"जो जिया बेहतर जिया
ज...बेबाक और दमदार कवितायेँ<br />"जो जिया बेहतर जिया<br />जो किया खुलकर किया"कृष्णधर शर्माhttp://www.samajkibaat.blogspot.innoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-34930998836508818632016-07-13T08:45:46.310+05:302016-07-13T08:45:46.310+05:30imandar abhvyakti!
imandar abhvyakti!<br />शैलेंद्र शांतhttps://www.blogger.com/profile/08691568332908930626noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-85667099898814390202016-02-13T19:58:46.822+05:302016-02-13T19:58:46.822+05:30 खीजे गुरु
मेरी हत्या का कांड करते वक्त
कि आखिर कह... खीजे गुरु<br />मेरी हत्या का कांड करते वक्त<br />कि आखिर कहाँ छिपाया था मैंने<br />अपना तप्त लहू।’’ जैसी पंक्तियाँ घोर तप और ताप का फल होती हैं..आपकी षष्टिपूर्ति हम मनाएंगे कवि...हम जो आपकी बेबाक लेखनी के फैन हैं anwar suhailhttps://www.blogger.com/profile/13015716685188323154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-24604880908243247742015-07-17T21:38:04.018+05:302015-07-17T21:38:04.018+05:30दोनों कविताएं बांधने वाली कविताएं हैं, दूसरी ज़्या...दोनों कविताएं बांधने वाली कविताएं हैं, दूसरी ज़्यादा सघन है। आपके लिए मन में आदर है, वह दूसरी वाली कविता को पढ़ते और सघन हुआ है सर।शिरीष कुमार मौर्यhttp://www.anunad.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-61501423826055990982015-07-17T12:10:15.235+05:302015-07-17T12:10:15.235+05:30बुढापा आये आपके दुश्मनों को |आप जिस नैतिकता के लिए...बुढापा आये आपके दुश्मनों को |आप जिस नैतिकता के लिए सन्नद्ध रहते हैं उसके बिना साहित्य में रीढ़ नहीं आ पाती |साठ साल की जवानी पर हार्दिक बधाई |जो भी जीवन जिया /धोखा नहीं किया / न खुद से /न किसी अन्य से ----कविता की असली ताकत यही है |जीवन सिंहhttps://www.blogger.com/profile/12928813138204126303noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-32023954057183493422015-07-14T11:44:03.401+05:302015-07-14T11:44:03.401+05:30अच्छी सार्थक व्यवहारिक प्रस्तुति आभार ।अच्छी सार्थक व्यवहारिक प्रस्तुति आभार ।Anavrithttps://www.blogger.com/profile/12922177615881087957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-86670025626538456902015-07-13T23:12:28.302+05:302015-07-13T23:12:28.302+05:30वर्तमान साहित्य-परिदृश्य और अपने समय के साहित्य...वर्तमान साहित्य-परिदृश्य और अपने समय के साहित्यकारों में उनके नैतिक विचलन को लेकर आपके मन में गहरा असंतोष और सात्विक प्रतिरोध का भाव रहा है, यह विरोध और असंतोष आपकी साहित्य आलोचना और टिप्पणियों में तो उजागर हुआ ही है, वह इन कविताओं में भी उसी शिद्दत से व्यक्त हुआ है, जो आपकी सात्विक चिन्ता को और गहरा करता है। इससे कविता की अन्दरूनी संरचना और काव्य-संवेदना पर जो असर पड़ा है, उसे साहित्य का पाठक किस तरह ग्रहण करता है, यह मेरे लिए भी जिज्ञासा का विषय है, लेकिन मैं आयु के इस साठवें पड़ाव पर एक खरे साहित्यकर्मी के रूप में आपका हार्दिक अभिनंदन करता हूं।नंद भारद्वाजhttps://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-5064308030712911212015-07-13T23:04:49.210+05:302015-07-13T23:04:49.210+05:30अद्भुत कवितायें...सच्चाई से यथार्थ को कहने वाला ही...अद्भुत कवितायें...सच्चाई से यथार्थ को कहने वाला ही सही मायने में अच्छा कवि होता है...और एक बात ये जो आज पुरस्कार, नाम, शोहरत लेकर उतान हो कर चल रहे हैं, इन सब लोगों को यह अच्छी तरह से पता है कि उनकी यह ख्याति(?) पूरी तरह से मैनुफैक्चर्ड है...आज से कई सालों बाद जब कभी अच्छे साहित्य---अच्छी कवितायेँ, कहानियां, व्यंग्य और निबंधों---की तलाश की जायेगी, तो वही उभर कर शीर्ष पर आएगा, जो अच्छा लिखने के बावजूद आज गुमनाम है...लेकिन उसने औरों की तरह तिकड़म बाज़ी करके या मठाधीशों के सरकते हुए पिछौटे को खोंस खोंस कर के नाम नहीं कमाया...रात के खिलाफhttps://www.blogger.com/profile/13027706903805164792noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-33351236591714902862015-07-13T23:02:17.437+05:302015-07-13T23:02:17.437+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.रात के खिलाफhttps://www.blogger.com/profile/13027706903805164792noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-36612934749512135142015-07-13T21:45:28.609+05:302015-07-13T21:45:28.609+05:30आप की स्पष्टवादिता और ठोस यथार्थ की व्यंजना प्रेरक...आप की स्पष्टवादिता और ठोस यथार्थ की व्यंजना प्रेरक है , चाहे कुछ के लिए मारक हो ।साठ का होने पर मैं ने भी कविता लिखी थी । साठा तो पाठा शायद पुराने ज़माने की बात है । <br />Sp Sudheshhttps://www.blogger.com/profile/02398620807527835617noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-56899398585673680552015-07-13T20:55:42.840+05:302015-07-13T20:55:42.840+05:30बेहद खूबसूरत कविताएँ ।समय का यथार्थ और कुछ सपनें ज...बेहद खूबसूरत कविताएँ ।समय का यथार्थ और कुछ सपनें जो जर्जर होने से इन्कार करते हैं ।मासूम सा लगाव जीवन का यहाँ-वहाँ से झाँकता है ।ईमानदारी जैसे इनमें तह पर तह बनाती है ।कोई लदान नहीं है झूठ की ।रूई के फाहे सा हल्का सच है जो अनुभव की कड़वाहटों के बावज़ूद कविता को मुलायम बनाए रखता है ।साठ की उम्र पर लिखी इन कविताओं में साठ के उम्र की कुंठाएं नहीं हैं ।मैं इन कविताओं का स्वागत करता हूँ ।Sanjay Kumar Shandilyahttps://www.blogger.com/profile/16475542113575906163noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-6845196679386224842015-07-13T20:14:08.646+05:302015-07-13T20:14:08.646+05:30Aapki baat marm ko aparsh kar gai, yoon hi likhte ...Aapki baat marm ko aparsh kar gai, yoon hi likhte rahiye, aatmsamman se badhkar koi uplabdhi nahin. नीलम सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14575149767326937041noreply@blogger.com