tag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post3555698832410220976..comments2024-02-08T14:09:55.960+05:30Comments on Ganesh Pandey : गणेश पाण्डेय: हिंदी का भविष्यGanesh Pandey http://www.blogger.com/profile/05090936293629861528noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-43664982731413536192013-09-16T15:34:49.066+05:302013-09-16T15:34:49.066+05:30पाण्डेय जी ने हिन्दी की दुर्दशा का यथार्थ वर्णन कि...पाण्डेय जी ने हिन्दी की दुर्दशा का यथार्थ वर्णन किया है । हिन्दी के आलोचक , सम्पादक , पत्रकार हिन्दी के माफ़िया के <br />शिकार हैं । पुस्तक छपने से लेकर उस की समीक्षा , उस पर पुरस्कार या गोष्ठी तक पर उन की नज़र है । इस मार्मिक लेख <br />के लिए आप को बधाई ।<br />Sp Sudheshhttps://www.blogger.com/profile/02398620807527835617noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-31703669738141878692013-09-15T20:17:35.546+05:302013-09-15T20:17:35.546+05:30हिंदी की दुर्दशा के लिये जिम्मेदार लोगों की आपने स...हिंदी की दुर्दशा के लिये जिम्मेदार लोगों की आपने सही पड़ताल की है और उनकी अच्छी खबर ली है. साधु! <br />अभी हाल ही में हमने दो यव रचनाकारों की गद्य रचनाएँ पढ़ीं- अनिल कुमार यादव की "यह भी कोई देश है महराज" और राकेश कुमार सिंह की "बम शंकर टन गणेश" हिंदी का कंठहार नहीं तो कमसेकम लॉकेट तो हैं ही. दोनों एकदम नए प्रकाशन से छपीं और बिना किसी आयोज़न-प्रयोज़न के हाथोंहाथ बिक गयीं. पहली किताब का दूसरा संस्करण भी साल भर में आ गया. हमें बड़े-बूढों से नहीं, नई पीढ़ी से ही उम्मीद है.Digamberhttps://www.blogger.com/profile/13513290747757708417noreply@blogger.com