tag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post1453561541585215946..comments2024-02-08T14:09:55.960+05:30Comments on Ganesh Pandey : गणेश पाण्डेय: क्रांति भी, रोना भी ,प्यार भी...Ganesh Pandey http://www.blogger.com/profile/05090936293629861528noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-61919335902943408412013-04-02T08:46:42.084+05:302013-04-02T08:46:42.084+05:30फेसबुक के इस माध्यम के साथ-साथ अपने समय को भी बेबा...फेसबुक के इस माध्यम के साथ-साथ अपने समय को भी बेबाकी से उद्घाटित करने के लिए आपका आभार |रामजी तिवारी https://www.blogger.com/profile/03037493398258910737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-43259260484370055912013-04-01T20:19:27.695+05:302013-04-01T20:19:27.695+05:30गणेश जी आपने बहुत ही सटीक और तार्किक ढंग से लेखन, ...गणेश जी आपने बहुत ही सटीक और तार्किक ढंग से लेखन, लेखक और उनसे जुड़े समस्त पहलुओं को बहुत ही गहराई से आंकते हुए एक जरूरी विश्लेषणात्मक आकलन अपने इस महत्त्वपूर्ण और दस्तावेजी आलेख में किया है..बधाई और साझा करने के लिए आभार! नवनीत पाण्डेhttps://www.blogger.com/profile/14332214678554614545noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-75079302014938165962013-03-31T20:49:25.593+05:302013-03-31T20:49:25.593+05:30अत्यंत महत्वपूर्ण बातें आपने सोशल साइट्स और यहां...अत्यंत महत्वपूर्ण बातें आपने सोशल साइट्स और यहां के साहित्यिक माहौल पर कही हैं। दरअसल, यहां सक्रिय बहुत से मित्र कई वर्गों और सामाजिक भूमिकाओं से आए हैं, इसलिए आपकी बहुत सी बातें कइयों को नागवार लग सकती हैं। लेखन को गंभीरता से लेने वाले इसे सही परिप्रेक्ष्य में समझेंगे। मेरे एक चिकित्सक मित्र कहते हैं कि मनुष्य में 20 बरस की उम्र में आकर थोड़ी सी जिम्मेदारी का भाव आता है, जो उत्तरोत्तर विकसित होता है... साहित्य में मेरे हिसाब से कोई अगर दस बरस निरंतर सक्रिय रहे, तभी उसे आप ठीक दिशा में जाने वाला मान सकते हैं... क्योंकि आकर्षण और प्रलोभनों में आने वाले लोग दस बरस इंतजार नहीं करते... मैं बहुत से ऐसे मित्रों को जानता हूं जो बीस बरस पहले प्रमुख हुआ करते थे, लेकिन जिंदगी की जद्दोजहद ने उन्हें दूर कर दिया, अब उन्हें लेखक तो क्या साहित्य के शुभचिंतक मान सकते हैं.... एफबी पर उपस्थित लेखक भी समय की छलनी से ही बेहतर या कमतर सिद्ध होंगे... लाइक और कमेंट की संख्या तो हम ही दो दिन बाद भूल जाते हैं... इस अच्छे आलेख के लिए आपका हार्दिक आभार, इसी प्रकार मार्गदर्शन करते रहिए। Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13562041392056023275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-45465144519053665872013-03-31T20:24:07.432+05:302013-03-31T20:24:07.432+05:30sarthak rachna.......abhar,sarthak rachna.......abhar,Reena Panthttps://www.blogger.com/profile/00567958984543097787noreply@blogger.com