tag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post8818418184652369977..comments2024-02-08T14:09:55.960+05:30Comments on Ganesh Pandey : गणेश पाण्डेय: दुखी रहे फिर भी कुछ पाजीGanesh Pandey http://www.blogger.com/profile/05090936293629861528noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-19155917550103757922013-08-25T10:56:48.510+05:302013-08-25T10:56:48.510+05:30हमेशा की तरह बहुत सटीक और गंभीर चोट गणेश जी! लेकिन...हमेशा की तरह बहुत सटीक और गंभीर चोट गणेश जी! लेकिन इन सब से बचा भी तो नहीं जा सकता। ये तो तब हैं जब कुछ लोग( भले ही वे दुखी हो ही बोलें)बोलते तो है, सोचिए! अगर बोलना छोड़ दिया जाए और सब कुछ "जो हो रहा है, होने दो अपन को क्या लेना- देना" सोच कर हर गलत-शलत को देखकर भी अनदेखा कर आंख मूंद बैठ जाना भी क्या उचित है? नवनीत पाण्डेhttps://www.blogger.com/profile/14332214678554614545noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-60921829949890159662013-08-25T10:22:36.166+05:302013-08-25T10:22:36.166+05:30एकदम बेलाग और बेबाक !आपके लिखे की यह खूबी बेहद आश्...एकदम बेलाग और बेबाक !आपके लिखे की यह खूबी बेहद आश्वस्त करती है. कुछ लोग जो सब कुछ अपने मन-मुताबिक चाहते हैं, उनकी बेचैनी के स्रोतों को आपने न सिर्फ़ क़ायदे से चिह्नित किया है, अपने समय के सत्य को भी रेखांकित किया है. परम सुखी लोग सुखी रहें, और तनी हुई गर्दन वाले पाजी दुखी रहें, यह इसलिए भी ज़रूरी है कि दोनों तरह के लोग अपने काम करते रह सकें. पाजियों की संख्या कुछ बढ़े तो बात बने ! समाज को इन पाजियों की ज़रूरत ज़्यादा अनुभव होती रहे, यह शुभकामना !मोहन श्रोत्रियhttps://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-5996833219768757292013-08-25T07:06:38.105+05:302013-08-25T07:06:38.105+05:30सर प्रणाम
आपका लिखा हुआ हमेशा से कुछ सीख दे जाता ...सर प्रणाम <br />आपका लिखा हुआ हमेशा से कुछ सीख दे जाता है , आपको पढ़ना सुखद लगता है ...!!वसुन्धरा पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/12807783136209273289noreply@blogger.com