tag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post7376603288655283952..comments2024-02-08T14:09:55.960+05:30Comments on Ganesh Pandey : गणेश पाण्डेय: सबद एक पूछिबाGanesh Pandey http://www.blogger.com/profile/05090936293629861528noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-63124771557225650032021-11-13T14:13:48.670+05:302021-11-13T14:13:48.670+05:30भीतर तक बेधती हुई यह कविता ऐसे जलते हुए सवालों से ...भीतर तक बेधती हुई यह कविता ऐसे जलते हुए सवालों से लैस है जिन्हें पूछने का साहस और जोखिम गिने-चुने ईमान वाले लोग ही उठा पाएंगे। मानवीय मूल्यों से स्खलित विद्रूप समाज और राजनीति का इतना प्रामाणिक और पारदर्शी दृश्य मेरी नज़र में कहीं और उपलब्ध नहीं है।योगेंद्र कृष्णाhttps://www.blogger.com/profile/09741271265483154489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-27528891539228954842017-03-20T04:49:00.057+05:302017-03-20T04:49:00.057+05:30बहुत प्रासंगिक और सुन्दर कविता। बधाई।बहुत प्रासंगिक और सुन्दर कविता। बधाई।mahendra-sharmahttps://www.blogger.com/profile/01097931730071134099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-59954497607905156582017-03-19T10:54:48.016+05:302017-03-19T10:54:48.016+05:30सत्ता की हेकड़ी के आगे मूक बघिर पंगु शासन प्रशासन ...सत्ता की हेकड़ी के आगे मूक बघिर पंगु शासन प्रशासन की कुसंस्कृति के निरंतर झापड़ों से त्रस्त मानवता की मार्मिक करुण और बेबाक तस्वीर प्रस्तुत करती इस कालजयी रचना के रचियता को प्रणाम ��<br />द्विजेन्द्र ‘द्विज’https://www.blogger.com/profile/16379129109381376790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-2855054309098390312017-01-08T09:15:04.973+05:302017-01-08T09:15:04.973+05:30अपनी पूरी रचनात्मक ऊर्जा और विवश आक्रोश मे लिखी दस...अपनी पूरी रचनात्मक ऊर्जा और विवश आक्रोश मे लिखी दस्तावेजी कविता जो वर्तमान के निर्मम सच को बेनकाब करती है,आपको प<br />रणाम,बधाई,डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंहhttps://www.blogger.com/profile/07345306084462566690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-30819753696599507022017-01-08T09:14:53.864+05:302017-01-08T09:14:53.864+05:30अपनी पूरी रचनात्मक ऊर्जा और विवश आक्रोश मे लिखी दस...अपनी पूरी रचनात्मक ऊर्जा और विवश आक्रोश मे लिखी दस्तावेजी कविता जो वर्तमान के निर्मम सच को बेनकाब करती है,आपको प<br />रणाम,बधाई,डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंहhttps://www.blogger.com/profile/07345306084462566690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-82082439080895506012015-10-12T21:35:38.874+05:302015-10-12T21:35:38.874+05:30यह सामयिक यथार्थ की कुरूपता और सारे मानव मूल्यों क...यह सामयिक यथार्थ की कुरूपता और सारे मानव मूल्यों का दलन करती अवसरवादी राजनीति को बेनक़ाब करती सशक्त रचना है । बेबाक शैली में गोरख बाबा को याद किया गया है । बधाई पाण्डेय जी । Sp Sudheshhttps://www.blogger.com/profile/02398620807527835617noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-67229803938349054272014-09-03T18:49:10.573+05:302014-09-03T18:49:10.573+05:30हे बाबा ये कैसा हे बाबा ये कैसा Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-53781731213889041882013-08-07T14:35:45.982+05:302013-08-07T14:35:45.982+05:30बैचेन करने वाली कविता.....इस उमस भरे माहौल में सां...बैचेन करने वाली कविता.....इस उमस भरे माहौल में सांस बहुत मुश्किल से लिया जा रहा है. मौजूदा माहौल में इस कविता को पढकर मन और बौझिल हो गया..... सन्मार्गhttps://www.blogger.com/profile/03191524571726912984noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-84443294734772101012013-08-07T09:16:53.461+05:302013-08-07T09:16:53.461+05:30कठिन दौर है यह...
सारी समस्याएं, चित्र और प्रश्न स...कठिन दौर है यह...<br />सारी समस्याएं, चित्र और प्रश्न सामने रख कर सोच को उन्नत करने को उद्धत अद्भुत शब्द यात्रा!<br /><br />सादर!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-82565409678281478882013-08-07T07:52:09.276+05:302013-08-07T07:52:09.276+05:30वाजिब आक्रोश को सही ढंग से, चित्रात्मक शैली में अ...वाजिब आक्रोश को सही ढंग से, चित्रात्मक शैली में अभिव्यक्त करता अत्यंत प्रभावशाली आख्यान. यह है आज के हिंदुस्तान की पीड़ादायक तस्वीर !मोहन श्रोत्रियhttps://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-5351656470971316952013-06-12T22:17:50.967+05:302013-06-12T22:17:50.967+05:30गोरख की परम्परा की शैली में यह कविता गोरख के कथ्य ...गोरख की परम्परा की शैली में यह कविता गोरख के कथ्य का भी निर्वाह करती है. <br />निर्भीक, अनभय और कुछ वैराग्य लिए हुए.ऐसी कविता इस समय कोई नहीं लिख रहा है. <br />आपकी दृष्टि, भाषा और लम्बी तान का कायल हो गया. बधाई .<br />- अरुण देव.<br />युवाकवि और समालोचन के संपादक अरुणदेव की यह टिप्पणी लंबीकविता ‘सबद एक पूछिबा’ के लिए है, <br />जो भूलवश जापानी बुख़ार कविता के साथ लग गयी है। Ganesh Pandey https://www.blogger.com/profile/05090936293629861528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-36017378618031497692011-11-26T18:01:31.380+05:302011-11-26T18:01:31.380+05:30बहुत चुभती हुई कविता है बहुत कुछ सोचने करने और अपन...बहुत चुभती हुई कविता है बहुत कुछ सोचने करने और अपनी जड़ताओ से बाहर आने को विवश करती हुई ... आभार आपका दादा इसे हमें पढवाने के लिए ...हेमा दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/15580735111999597020noreply@blogger.com