tag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post5649697128798287478..comments2024-02-08T14:09:55.960+05:30Comments on Ganesh Pandey : गणेश पाण्डेय: अथ आलोचक कथाGanesh Pandey http://www.blogger.com/profile/05090936293629861528noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-37677707486553460312020-09-29T01:10:48.885+05:302020-09-29T01:10:48.885+05:30आपका आंतर्य कवि का है। यह कविता भी मन को भायी। फिर...आपका आंतर्य कवि का है। यह कविता भी मन को भायी। फिर नागार्जुन के हवाले से कह रहा हूँ− गहन अध्ययन करने वाला व्यक्ति अच्छा लेखक या कवि नहीं बन पाता। आलोचक बनने की तरफ़ निकल जाता है। आलोचक ईर्ष्यालु या फिर आत्मवादी जैसा कुछ हो जाता है। अपनों का ध्यान रखने के दबाव में रहता है। रचनाकारों को लेखनी से जुआ खेलने की प्रेरणा देने लगता है। <br /><br />Vinay Shrikarhttps://www.blogger.com/profile/05306291796086966529noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-6597534996117302382016-12-10T07:35:19.714+05:302016-12-10T07:35:19.714+05:30आपने ठीक ही लिखा है कि आलोचक बनना आसान नहीं। केवल ...आपने ठीक ही लिखा है कि आलोचक बनना आसान नहीं। केवल अध्ययन आलोचना का मार्ग प्रशस्त नहीं करता। जीवन दृष्टि विकसित करनी होती है। हालांकि यह प्रतिभा नैसर्गिक तो नहीं, उपार्जित ही है पर इसके लिए ईमानदारी और श्रम की बेहद आवश्यकता है। एक अच्छी कविता के लिए आपको बधाई सर।Sushil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/09252023096933113190noreply@blogger.com