tag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post3517702950865080451..comments2024-02-08T14:09:55.960+05:30Comments on Ganesh Pandey : गणेश पाण्डेय: आलोचना की दास परंपराGanesh Pandey http://www.blogger.com/profile/05090936293629861528noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-19596579685600920342012-03-17T19:07:03.712+05:302012-03-17T19:07:03.712+05:30आपके इस ईमान के लिए बधाई और धन्यवाद।आपके इस ईमान के लिए बधाई और धन्यवाद।Ganesh Pandey https://www.blogger.com/profile/05090936293629861528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-32683099230790704212012-03-17T10:04:26.002+05:302012-03-17T10:04:26.002+05:30समकालीन आलोचना की मनोवृत्ति को समझने के लिए एक महत...समकालीन आलोचना की मनोवृत्ति को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण लेख. ऐसी बेबाकी विरल है. क्या यह 'दास परंपरा' से बगावत को उकसाता नहीं है? समकालीन रचना शीलता को यह बगावत करनी ही होगी. आपने उकसाया है, यह आपके आलोचकीय विवेक और निर्भीकता का नमूना है.हिंदीपट्टीhttps://www.blogger.com/profile/00347895668139412017noreply@blogger.com