tag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post2236481120139910585..comments2024-02-08T14:09:55.960+05:30Comments on Ganesh Pandey : गणेश पाण्डेय: मोढ़े की परिक्रमाGanesh Pandey http://www.blogger.com/profile/05090936293629861528noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-70044166795837647082015-12-27T19:57:28.052+05:302015-12-27T19:57:28.052+05:30आपकी बात में खंज़र नहीं है लेकिन खाद-पानी-धुप-हवा ...आपकी बात में खंज़र नहीं है लेकिन खाद-पानी-धुप-हवा भरपूर है...और जिन्हें लक्ष्य की गई है उनके अलावा कईयों को राह दिखलाएगी. हाँ, लडकियों होशियार, किस्सा-कहानी या कविताई से बचो कि ई रास्ता समझौतों वाला बनता जा रहा है..आलोचना करो...वाह.. मजा आ गया भाई anwar suhailhttps://www.blogger.com/profile/13015716685188323154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-38418007521468049922013-12-28T23:26:18.708+05:302013-12-28T23:26:18.708+05:30बहुत सच और खरी बातें लिखी हैं आपने। आपकी बातों ...बहुत सच और खरी बातें लिखी हैं आपने। आपकी बातों से बहुत बल मिला...।। आभार...।।विमलेश त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/02192761013635862552noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-33665949344710073492013-12-28T20:21:20.723+05:302013-12-28T20:21:20.723+05:30हमेशा की तरह बहुत ही सटीक विवेचन- आकलन गणेश जी.. म...हमेशा की तरह बहुत ही सटीक विवेचन- आकलन गणेश जी.. मुझे इन तथाकथित बड़ों में कइयों के वास्तविक आचार- व्यवहार व चरित्र के बारे में ऑफ़ दी रिकॉर्ड जो किस्से सुनने को मिलते हैं.. उस पर महा उपन्यास लिखे जा सकते हैं.. अपने सृजन में अति संवेदना की पराष्ठा रचते इन हस्ताक्षरों खुद की जीवन चर्याएं अगर वही है जो उनके सम्पर्क में रहनेवालों द्वारा बतायी जाती है तो... नि:शब्द रह जाता हूं... आप राष्ट्रीय- अंतर्राष्ट्रीय लेकिन अपने ही घर..परिवेश में नितांत अज़नबी..<br />नवनीत पाण्डेhttps://www.blogger.com/profile/14332214678554614545noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-5342801480916270362013-12-28T19:01:20.536+05:302013-12-28T19:01:20.536+05:30बहुत अच्छी टिप्पणी। बहुत सधी-सारवान। जिसे निमित्...बहुत अच्छी टिप्पणी। बहुत सधी-सारवान। जिसे निमित्त बनाकर लिखी गर्इ- उस कवि से कहना है कि रहना 'इसी दुनिया में' है इन्हीं 'दुश्चक्र के स्रष्टाओं' के बीच....अपनी हिम्मत से रहो भाई। शिरीष कुमार मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/05256525732884716039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-28368434739342154362013-12-28T17:09:58.555+05:302013-12-28T17:09:58.555+05:30खरी...खरी, सदा की भांति ! बातें सब सही हैं, और लगभ...खरी...खरी, सदा की भांति ! बातें सब सही हैं, और लगभग खुली हुई भी. जिन्हें निमित्त बनाकर लिखा है, उनका प्रसंग पता नहीं है. सिर्फ़ इतना जानता हूं कि वह कम उम्र में ही बहु-पुरस्कृत कवि हैं.मोहन श्रोत्रियhttps://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6243664497420021389.post-77337060128333115592013-12-27T22:20:10.563+05:302013-12-27T22:20:10.563+05:30अपने समय को पढ़ रहा हूँ,महसूस किए हुए को शब्दों में...अपने समय को पढ़ रहा हूँ,महसूस किए हुए को शब्दों में उतरते देख रहा हूँ,सच कहने से ज्यादा सुनने के लिए हिम्मत चाहिए,साहित्य की दुनिया में आग लगी है और अधिकांश लोग आँख मूँद लेले को प्रतिरोध मान बैठे हैं,विमलेश भाई के बहाने आपने अपने समय के प्रवृतियों को अच्छा उकेरा है| आभार सुन्दर सृजक https://www.blogger.com/profile/03250365209576301112noreply@blogger.com